बोला मुझको दे दो जोश
सिर पर आन पड़ा है चुनाव
लगे न ऐसे में कोई घाव
करना मैंने खूब प्रचार
अपनी पार्टी का सरदार
जिताऊँगा उसको हर हाल
देखना तुम सब मेरा कमाल
जो तुम मुझमें जोश भरोगे
तो समाज की सेवा करोगे
जीते तो दूँगा उपहार
होगी जो अपनी सरकार
तो हम मिलकर मजे करेंगे
आजादी से घूमे-फिरेंगे
बंदर ने तो जुबान न खोली
इतने मे आ लोमड़ी बोली
11. इतने में भागता-भागता एक खरगोश बंदर मामा के पास आ पहुँचा और बोला:-
बंदर भाई, बंदर भाई जल्दी से मुझमें जोश भर दो। तुम तो जानते हो जंगल में चुनाव का मौसम चल रहा है और मुझे अपने उम्मीदवार के लिए खूब प्रचार करना है। उसको हर हाल में जिताना मेरी जिम्मेदारी है। जो तुम मुझमें जोश भर दोगे तो फिर मेरा कमाल देखना। ऐसा करके तुम एक तरह से समाज की सेवा ही करोगे और अगर मैं अपने सरदार को जिताने में सफल रहा तो तुम्हें भी ढेर सारे उपहार दूंगा। फ़िर जंगल में अपनी सरकार होगी, हम सब आजादी से घूमेंगे-फिरेंगे और मजे करेंगे।
बंदर मामा ने अभी कोई जवाब न दिया था कि इतने में एक लोमडी आकर बोली-
बारहवाँ भाग
सीमा जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत रोचक होता जा रहा है ...आपका यह बाल उपन्यास ..पूरा हो जायेगा तो एक बार पुनः एक साथ पढ़ने की कोशिश करूँगा .
हेमंत कुमार