खास चीज यहां लेने आई
दे दो राजनीति का गुर
मिले जो राजा के संग सुर
उसकी पी.ए. बन जाऊं खास
भैया मेरा करो विश्वास
पी.ए. बन भी याद रखूँगी
तेरा सारा काम करुँगी
तुम तो सबसे अच्छे भाई
तेरे काम कभी मैं आई
खुद को समझूँगी मैं धन्य
नहीं तुझसा कोई भाई अन्य
समझा बंदर सारी बात
चालाकी लोमड़ी की जात
फ़िर कुछ सोच के बोला बहना
मान ले जो तू मेरा कहना
दो दिन बाद मेरे घर आना
राजनीति का गुर ले जाना
पर सोचा यह मन ही मन
यही गुर तो है उत्तम धन
गुर जो पास मेरे यह होता
खुद न पी.ए. बन जाता
12. लोमड़ी आकर बंदर से कहने लगी- "बंदर भाई! बंदर भाई, मुझे राजनीति का गुर दे दो, जिससे मैं राजा के सुर में सुर मिला सकूं और उसकी खास पी.ए. बन जाऊं। देखना पी.ए. बनकर मैं तेरे किसी काम आ सकी तो स्वयं को धन्य समझूँगी। तुम तो दुनिया के सबसे अच्छे भाई हो।"
बंदर लोमड़ी की चालाकी भरी बातें सब समझ गया और कुछ सोच कर बोला- "तुम दो दिन बाद मेरे घर पर आना और राजनीति का गुर मैं तुम्हें दे दूंगा।"
पर मन ही मन बंदर विचार करने लगा कि यही गुर तो सबसे खास है, जो यह गुर मेरे पास होता तो मैं स्वयं न राजा का पी.ए. बन जाता।
तेरहवाँ भाग
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कैसा लगा.. अच्छा या बुरा ?
कुछ और भी चाहते हैं, आप..
तो बताइये ना, हमें !