आकर अपना सूंड हिलाया
अकेलेपन से थक गया हूँ
अब मैं सचमुच पक गया हूँ
लाकर दे दो मुझको हथिनी
होगी मेरी जीवन संगिनी
वो हथिनी मैं हाथी राजा
बजेगा फिर जंगल में बाजा
बदले में तुम कुछ भी बोलो
जो चाहिए जी भर मुँह खोलो
पीठ पे अपनी बिठाऊँगा
जंगल पूरा घुमाऊँगा ।
बंदर करने लगा विचार
क्या हो हाथी का उपचार
हथिनी यहाँ कहाँ से आई
कैसे इसको दूँ विदाई ?
तभी सुनी इक शेर दहाड़
हाथी पे ज्यों टूटा पहाड़
भागा वहां से हाथी राजा
याद नहीं अब उसको बाजा।
13. इतने में ही एक हाथी दुकान पर आ पहुँचा और बंदर से कहने लगा-
"बंदर भाई, मैं अकेलेपन से थक गया हूँ, जो तुम मुझको एक हथिनी दे दो तो मैं उस संग ब्याह रचाऊँगा, जंगल में बाजा बजवाऊँगा। वो मेरी रानी होगी और मैं उसका हाथी राजा। बदले में तुम्हें जो चाहिए मुझसे ले लो। चाहो तो तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर पूरे जंगल की सैर करवा दूंगा।
हाथी की बात सुन बंदर विचारने लगा कि अब इसको कैसे टरकाया जाए, भला दुकान पर हथिनी कहाँ से आई? इतने में एक शेर की दहाड़ सुनाई दी, हाथी पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा और बैण्ड-बाजा भुला वहाँ से भागने लगा।
(ज़ारी॰॰॰॰॰
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