आपको याद है न कुछ दिन पूर्व आपके प्रतीक अंकल जी ने एक हाथी की तस्वीर बनाकर आपको कहानी लिखने के लिए कहा था ।मैने उस पर एक कहानी लिखी है , पढ्कर बताना अवश्य आपको कहानी कैसी लगी ? और आप भी लिखने का प्रयास अवश्य करना । हम प्रतीक जी को भी इतनी सुन्दर तस्वीर बनाने तथा नया विचार सुझाने के लिए धन्यवाद करते हैं और आशा करते हैं कि वे आगे भी नन्हे-मुन्ने बच्चों के लिए रचनात्मक कार्य करते रहेंगे - सीमा सचदेव

एक था राजा , मोटा ताज़ा
हाथी उसके महल बिराजा
देख के हाथी मोटा चौड़ा
राजा ने विचारा थोड़ा
लगता नहीं यह मेरा साथी
फ़िर क्यों मुझसा मोटा हाथी
लगा वो करने मन में विचार
है कितना हाथी का भार
मैं भारी या हाथी भारी
तब जानेगी जनता सारी
जब इसका तोलेंगे भार
आते ही यूं मन में विचार
झट से मंत्री को बुलवाया
हाथी तोल का हुक्म सुनाया
मंत्री मन ही मन मुस्काया
मूर्खता पर गुस्सा आया
कहां तुला जो तोले हाथी
राजा को बस बातें आती
हाथ जोड़कर सीस नवाया
और राजा को कह सुनाया
दिखता आपका ज्यादा भार
हाथी तोल का त्यागो विचार
पर राजा को समझ न आई
अपनी बात फ़िर से दोहराई
तब मंत्री बोला महाराज
फ़ैसला इसका होगा आज
इक दूजे की करो स्वारी
पता चलेगा कौन है भारी
जो भी नहीं उठा पाएगा
वही ओ हलका कहलाएगा
सुनकर खुश हो गया राजा
पेट फ़ुला हाथी पे विराजा
खड़ा था हाथी मस्त मलंग
देखके राजा रह गया दंग
अब आई राजा की बारी
लग गई उसकी ताकत सारी
पर हाथी को हिला न पाया
हाथी नें पांव के तले दबाया
देखती रह गई परजा सारी
हाथी था राजा से भारी ।
वाह बच्चों के लिए बहुत शानदार मशाला है !! ये तो वही बात हुई अजमा लो कौन कितने पानी में है !!
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