याद रखना
मेरे नन्हे,
मेरे अपने!
बनी थी मैं -
परियों की शहजादी!
दिखाया था -
अपनी पंखों का जादू!
कहा था तुमसे -
पंख होते हैं -
हमारे हौसले!
हौसला कभी ना खोना ... ... .
याद है तुम्हें?
सच है -
दुनिया भाग रही है!
सच है -
सब बदल गया!
पर सबसे अनोखा सच है -
पंखों की भाषा ... ... .
हौसले की आग ... ... .
इसे याद रखना,
हौसलों की तपिश को
बरक़रार रखना
और
कभी भी मन घबराए,
याद करना -
परियों की शहजादी को भी !
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Bahut sundr rachana......Badhai !!
जवाब देंहटाएंरश्मिप्रभा जी की सुन्दर बाल-कविता को नन्हा मन पर लगाने के लिए रवि जी का आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना!
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