एक बार था एक ब्राह्मण
प्यारा बच्चा उसका धन
नेवला था इक उसके पास
था ब्राह्मण को बडा विश्वास
था नेवला भी बडा वफादार
करता स्वामी का सत्कार
ब्राह्मणी इक दिन गई बाहर
छोडा था बच्चे को घर
ब्राह्मण था बच्चे के पास
आया राजा का इक दास
बोला राजा ने बुलवाया
जल्दी आओ , हुक्म सुनाया
करवानी राजा को पूजा
आएगा वरना ब्राह्मण दूजा
मन ब्राह्मण का भी ललचाया
पर दुविधा मे अब वह आया
छोडे बच्चे को कहाँ पर
रह पाए सुरक्षित जहां पर
सोच के नेवले को बुलाया
बडे. प्यार से यह समझाया
रखना इसका खूब ध्यान
न खतरे में हो इसकी जान
नेवला बैठा था घर पर
इतने मे आया इक अजगर
खतरे मे बच्चे की जान
पर नेवले ने ले लिए प्राण
झपट के उसको मार गिराया
प्यारा बच्चा उसका धन
नेवला था इक उसके पास
था ब्राह्मण को बडा विश्वास
था नेवला भी बडा वफादार
करता स्वामी का सत्कार
ब्राह्मणी इक दिन गई बाहर
छोडा था बच्चे को घर
ब्राह्मण था बच्चे के पास
आया राजा का इक दास
बोला राजा ने बुलवाया
जल्दी आओ , हुक्म सुनाया
करवानी राजा को पूजा
आएगा वरना ब्राह्मण दूजा
मन ब्राह्मण का भी ललचाया
पर दुविधा मे अब वह आया
छोडे बच्चे को कहाँ पर
रह पाए सुरक्षित जहां पर
सोच के नेवले को बुलाया
बडे. प्यार से यह समझाया
रखना इसका खूब ध्यान
न खतरे में हो इसकी जान
नेवला बैठा था घर पर
इतने मे आया इक अजगर
खतरे मे बच्चे की जान
पर नेवले ने ले लिए प्राण
झपट के उसको मार गिराया
अजगर से बच्चे को बचाया
पर जब ब्राह्मण आया घर
भाग के नेवला आया बाहर
ताकि वह मालिक को बताए
ईनाम वफादारी का पाए
खून लगा था उसके मुँह पर
देख के ब्राह्मण भी गया डर
समझा इसने बच्चा मारा
लूट लिया उसका जहां सारा
नही सोचा नही किया विचार
झट से नेवले को दिया मार
मार के उसको अन्दर आया
बच्चे को सोए हुए पाया
मरा पडा था अजगर पास
समझा ब्राह्मण सारी बात
अपने किए पे अब पछताया
बिन देखे गुस्सा क्यो आया ?
पर अब हो गया था नुकसान
ले ली थी नेवले की जान
वो न वापिस आ सकता था
ब्राह्मण बस पछता सकता था
.......................
.......................
बच्चो तुम भी रखना ध्यान
सोच विचार के करना काम
करने से पहले जो न सोचे
मिलते अकसर उनको धोखे
पर जब ब्राह्मण आया घर
भाग के नेवला आया बाहर
ताकि वह मालिक को बताए
ईनाम वफादारी का पाए
खून लगा था उसके मुँह पर
देख के ब्राह्मण भी गया डर
समझा इसने बच्चा मारा
लूट लिया उसका जहां सारा
नही सोचा नही किया विचार
झट से नेवले को दिया मार
मार के उसको अन्दर आया
बच्चे को सोए हुए पाया
मरा पडा था अजगर पास
समझा ब्राह्मण सारी बात
अपने किए पे अब पछताया
बिन देखे गुस्सा क्यो आया ?
पर अब हो गया था नुकसान
ले ली थी नेवले की जान
वो न वापिस आ सकता था
ब्राह्मण बस पछता सकता था
.......................
.......................
बच्चो तुम भी रखना ध्यान
सोच विचार के करना काम
करने से पहले जो न सोचे
मिलते अकसर उनको धोखे
अच्छी कहानी है....."
जवाब देंहटाएंप्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com