
छोटी-छोटी बकरी
छोटी–छोटी गैया ।
गैया चराए मेरे
छोटे कन्हैया ।
छोटे-छोटे हाथ
छोटे-छोटे पाँव
ठुमक-ठुमक जाए
गोरी के गाँव ।
आँखों में दिखता
है आसमान ।
पतले–से होठों पे
छाई मुस्कान ।
किलक-किलक में
सारे गुणगान
तुतली-सी बोली में
छिपे भगवान ।
पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !
इस प्यारी सी लोरी नें भाव-विभोर कर दिया । तुतली बोली , किलकारी भरना , ठुमक-ठुमक चलना किसी को भी मंत्र मुग्ध करदे । ऐसी प्यारी से लोरी के लिए धन्यवाद । बहुत-बहुत बधाई...सीमा सचदेव
जवाब देंहटाएंbahut hi pyari lori
जवाब देंहटाएंnice
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