जन्गल मे इक हाथी रहता
और वो खुद को राजा कहता
बडी है कितनी मेरी देह हूँ राजा ,न कोई सन्देह
इक दिन बाघों का झुण्ड आया
देख के हाथी मन ललचाया
सोचेँ हाथी जो मर जाए
तो सब मिलकर मजे से खाएँ
हाथी तो बस एक मरेगा पर हम सबका पेट भरेगा
सबने मिल लगाई युक्ति
हो कैसे हाथी की मुक्ति
बोला तेरे खुल गए भाग
हम सब ने इक सभा बुलाई
सबने अपनी बात सुनाई
तुम ही हो जन्गल के राजा
और हम सब हैं तेरी परजा कर रहे सब तेरा इन्तजार
चाहिए हमें राजा का प्यार
मेरे साथ में जल्दी आओ मिलकर हम सन्ग खुशी मनाओ
फूल गया सुनकर यह हाथी
बोला कहाँ है तेरे साथी
तुम बस मेरे पीछे आओ
जल्दी करो न देर लगाओ
कहकर बाघ यूँ दौडा आगे
हाथी बाघ के पीछे भागे
भर गया हाथी में गरूर
मार्ग में था एक तलाब
धँस गए कीचड में जनाब बाघ को फिर आवाज़ लगाई
बोला मेरी जान पे आई
आकर मेरी जान बचाओ
जल्दी आओ देर न लाओ
गया वो बाघ वहाँ से भाग साथी अपने बुलाकर लाया
हाथी को सबने खूब सताया
अब इस बात को समझा हाथी
बिन मतलब न कोई साथी
हाथी ने अपने प्राण गँवाए
सब बाघों ने मजे उडाए
हा...हा..हा..मज़ा आ गया पर बेचारा हाथी...."
जवाब देंहटाएंसुंदर -आकर्षित चित्रों के साथ लयबद्ध - शिक्षाप्रद कविता से सभी को प्रेरणा मिलेगी .
जवाब देंहटाएंबच्चों को लिए उपयोगी और रोचक बाल कविता!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चित्रात्मक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
माँग नहीं सकता न, प्यारे-प्यारे, मस्त नज़ारे!
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संपादक : सरस पायस
जवाब देंहटाएंओह्हो हो हो..
क्या बाघ है, मेरा मतलब क्या बात है ?
जरा ठहरिये, अभी सबको खबर देता हूँ ।