बढ़िया बहुत पसीना
गरमी के मौसम में लगता,
बढ़िया बहुत पसीना!
जब शरीर का ताप बढ़े यह,
निकल-निकलकर आए!
धीरे-धीरे भाप बने, फिर
शीतलता पहुँचाए!
यह ना आए, तो हो जाए
मुश्किल सबका जीना!
गरमी के ... ... .
रोमछिद्र में भरी गंदगी,
यह बाहर ले आए!
सदा त्वचा की रक्षा करता,
त्वचा न फटने पाए!
इसको छूकर गरम हवा भी,
ठंडी हो जाए ना!
गरमी के ... ... .
अगर पसीना ना आए तो,
त्वचा सूख जाती है!
चढ़ती है दिमाग पर गरमी,
रह-रह तड़पाती है!
इसे बुलाने की ख़ातिर तुम,
गट-गट पानी पीना!
गरमी के ... ... .
सुन्दर ज्ञान देता गीत!!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर
जवाब देंहटाएंमेरा मन मुस्काया!
शीर्षक के अंतर्गत
इस पोस्ट की चर्चा की गई है!
जब गर्मी लगती है और मुश्किल हो जाता जीना!
जवाब देंहटाएंसबके तन से तब बाहर आता है बहुत पसीना!
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बढ़िया बाल-गीत को रचने के लिए रवि जी को बहुत बधाई!
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साथ ही जन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया बाल गीत।
जवाब देंहटाएंजन्मदिन कि हार्दिक बधाई और शुभकामनायें।
गर्मी और पसीने पर सटीक ज्ञान देता सुन्दर बालगीत....बधाई
जवाब देंहटाएंगट -गट पानी पीना ......बालगीत के माध्यम से त्वचा के उपचार का संदेश मिला . वाह .....वाह !
जवाब देंहटाएंजन्मदिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं .
पसीने पर कविता पहली बार देखी है, कमाल की creativity . आखिर में कविता में पानी पीने की सलाह दी गयी है और ये काम मै बखूबी करता हूँ .
जवाब देंहटाएंजन्म-दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
चर्चा मंच पर माधव को जगह देने के लिए धन्यावाद