नाव चली
काले बादल नभ में छाए
ढम -ढम -ढम- ढम शोर मचाए
देखो सूरज ! भी नजर न आए
अँधेरा दिन में भी छाए ।
मौसम ने भी करवट ली
सर -सर -सर - सर हवा चली
रिमझिम -रिमझिम वर्षा हुई
नदी - नालों में पानी भरे ।
नाव को ले कर बच्चे निकले
नाव पानी में तैराई रे
छप - छप -छप -छप नाव चली
देख इसे सब हर्षाए रे ।
- मंजू गुप्ता
एक अच्छी कविता समय के अनुसार
जवाब देंहटाएंएक सुंदर रचना , बधाई
"बहुत बढ़िया..."
जवाब देंहटाएंसुनील जी ,अमितराघट जी ,
जवाब देंहटाएंमेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद .