कोयल-बुलबुल की बातचीत
संजीव 'सलिल'
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कुहुक-कुहुक कोयल कहे: 'बोलो मीठे बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..
यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
वह बोली: 'जो बोलना उसमें मिसरी घोल'.
इसका मत: 'रख बात में कभी न अपनी झोल'.
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..
यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..
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बहुत सुन्दर! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंसुंदर बाल कविता.....
जवाब देंहटाएंकोयल और बुलबुल की बातें तो बड़ी प्यारी हैं.... चित्र भी सुंदर लगे....
जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट है!
जवाब देंहटाएं--
बधाई!
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आपकी पोस्ट को बाल चर्चा मंच में लिया गया है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/24.html
BAL SAJAG - or नन्हा मन -
जवाब देंहटाएंdono blogs par bahut si kavitayen or lekh padhe ,sundar ,marmik bal man ka chintan lekin ye kavita bahut hi dil ko chho gayii
bandhaii swikaren
aapka priyas sarahniy hai