भटका भटका एक शेर,
जा पहुंचा भाई शहर में,
अफ़रा तफ़री नची जोर की,
खबर पहुंच गयी सरकस में।
भीड़ देखकर शेर घबराया,
हौले हौले दहाड़ लगाई,
बोल दिया फ़िर हमला उसने,
धर गर्दन की एक दबाई।
भगने की कोशिश की जंगल में,
पर भीड़ के आगे चल ना पाई,
खा खा कर डंडे पर डंडे,
उस पर बेहोशी सी छाई।
देख के शेर को अधमरा,
शिकारी ने जाल बिछाया,
फ़ंसा लिया फ़िर शेर को उसने,
सीधे सरकस में पहुंचाया।
रिंग मास्टर के हंटर के आगे,
निकल गयी हेकड़ी सारी,
मार मार के हंटर से
रिंग मास्टर ने करतब सिखलाया।
धूम धूम मच गई सरकस में,
जब शेर ने कलाबाजी दिखलायी,
बच्चे बूढ़े और जवान सभी ने,
लोट पोट हो ताली बजायी।
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पूनम
सुंदर
जवाब देंहटाएंप्यारी कविता.....
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण व प्यारी सी कविता में गुलामी के दर्द को आसानी व प्रभावशाली तरीके से कहा गया है...आज के छोटे बच्चों से जहाँ हमें मछली को फ्रिज़ में रखकर उसे खाने की बात कहती कविताएँ सुनने को मिल रहीं हैं वहाँ ये कविता अपना एक महत्वपूर्ण स्थान सुनिश्चित करती है..बालमन तक ऐसी ममत्वपूर्ण कविताएँ पहुँचाने की ज़िम्मेवारी हमारी है..इस कविता के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंmai aise baal geeton ka samarthan nahi kar sakta muaafi chahunga..sher jangal se shahar kyun aayega bhala..jab jungal me uske thikaano ko aadmi n kabjaaye? Pranniyon par daya karo?
जवाब देंहटाएंcircus me jungali jaanvaron ko kaid karna, unhen kartab sikhana aur manoranjan ka madhyam banana dandniy aoraadh hai...Apko pata hona chahie..jaanvaron ko sikhane ke liye bhukha rakkha jata hai...unpar atyachar kiye jaate hain...aap aur vishyon par achha likh sakti hain aisa lagta hai..plz bura n maane aur any updeshatmak...shikshaprad baal geeton ka srijan karen........shumechhu..........Ramesh G.
पूनम जी बहुत अच्छा लगा आप के ब्लॉग पर कुछ और क्या खूब लिखिए हम बच्चे पढते रहें और क्या -
जवाब देंहटाएंसर्कस में शेर का धर कर जाना मजा अया गया
निम्न को थोडा सम्पादित एडिट करें और मजा आये -
अफ़रा तफ़री मची जोर की,
धर गर्दन फिर एक दबाई।
धन्यवाद