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दोहा सलिला
आम खास का खास है......
संजीव 'सलिल'
*
आम खास का खास है, खास आम का आम.
'सलिल' दाम दे आम ले, गुठली ले बेदाम..
आम न जो वह खास है, खास न जो वह आम.
आम खास है, खास है आम, नहीं बेनाम..
पन्हा अमावट आमरस, अमकलियाँ अमचूर.
चटखारे ले चाटिये, मजा मिले भरपूर..
दर्प न सहता है तनिक, बहुत विनत है आम.
अच्छे-अच्छों के करे. खट्टे दाँत- सलाम..
छककर खाएं अचार, या मधुर मुरब्बा आम .
पेड़ा बरफी कलौंजी, स्वाद अमोल-अदाम..
लंगड़ा, हापुस, दशहरी, कलमी चिनाबदाम.
सिंदूरी, नीलमपरी, चुसना आम ललाम..
चौसा बैगनपरी खा, चाहे हो जो दाम.
'सलिल' आम अनमोल है, सोच न- खर्च छदाम..
तोताचश्म न आम है, तोतापरी सुनाम.
चंचु सदृश दो नोक औ', तोते जैसा चाम..
हुआ मलीहाबाद का, सारे जग में नाम.
अमराई में विचरिये, खाकर मीठे आम..
लाल बसंती हरा या, पीत रंग निष्काम.
बढ़ता फलता मौन हो, सहे ग्रीष्म की घाम..
आम्र रसाल अमिय फल, अमिया जिसके नाम.
चढ़े देवफल भोग में, हो न विधाता वाम..
'सलिल' आम के आम ले, गुठली के भी दाम.
उदर रोग की दवा है, कोठा रहे न जाम..
चाटी अमिया बहू ने, भला करो हे राम!.
सासू जी नत सर खड़ीं, गृह मंदिर सुर-धाम..
*******
दोहा सलिला
आम खास का खास है......
संजीव 'सलिल'
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आम खास का खास है, खास आम का आम.
'सलिल' दाम दे आम ले, गुठली ले बेदाम..
आम न जो वह खास है, खास न जो वह आम.
आम खास है, खास है आम, नहीं बेनाम..
पन्हा अमावट आमरस, अमकलियाँ अमचूर.
चटखारे ले चाटिये, मजा मिले भरपूर..
दर्प न सहता है तनिक, बहुत विनत है आम.
अच्छे-अच्छों के करे. खट्टे दाँत- सलाम..
छककर खाएं अचार, या मधुर मुरब्बा आम .
पेड़ा बरफी कलौंजी, स्वाद अमोल-अदाम..
लंगड़ा, हापुस, दशहरी, कलमी चिनाबदाम.
सिंदूरी, नीलमपरी, चुसना आम ललाम..
चौसा बैगनपरी खा, चाहे हो जो दाम.
'सलिल' आम अनमोल है, सोच न- खर्च छदाम..
तोताचश्म न आम है, तोतापरी सुनाम.
चंचु सदृश दो नोक औ', तोते जैसा चाम..
हुआ मलीहाबाद का, सारे जग में नाम.
अमराई में विचरिये, खाकर मीठे आम..
लाल बसंती हरा या, पीत रंग निष्काम.
बढ़ता फलता मौन हो, सहे ग्रीष्म की घाम..
आम्र रसाल अमिय फल, अमिया जिसके नाम.
चढ़े देवफल भोग में, हो न विधाता वाम..
'सलिल' आम के आम ले, गुठली के भी दाम.
उदर रोग की दवा है, कोठा रहे न जाम..
चाटी अमिया बहू ने, भला करो हे राम!.
सासू जी नत सर खड़ीं, गृह मंदिर सुर-धाम..
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इस प्रस्तुति के बहाने किशोर आम की सारी प्रजातियाँ जान सकेंगे . आपको हार्दिक धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंसूरज को पाती
दोहे तो अच्छे हैं,
जवाब देंहटाएंमगर इन्हें बच्चों के लिए समझना कठिन लगता है!
बहुत ही सुंदर दोहे। बधाई।
जवाब देंहटाएं---------
ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
आप सबको धन्यवाद. आदरणीय मयंक जी का अभिमत सर-आँखों पर किन्तु कुझे नहीं लगता की संगणक, गणित, विज्ञान जैसे कठिन विषयों को सरलता से समझ सकनेवाले बच्चों को कुछ नए शब्द मिलने से वे अर्थ ग्रहण करने में असमर्थ होंगे अपितु उनके शब्द भंडार के समृद्ध होने वे अधिक सक्षमता से अपनी बात कहने में समर्थ होंगे.
जवाब देंहटाएंआम की बातें बताते मजेदार दोहे.....
जवाब देंहटाएंआम पर मजेदार दोहे..बहुत अच्छा लगा ....आभार...
जवाब देंहटाएंआचार्य संजीव वर्मा सलिल जी बड़ी प्यारी रही
जवाब देंहटाएंआम चालीसा और दोहे -
रंग बिरंगे प्यारे न्यारे
आम टोकरी भर लाये
इतने इतने आम दिखाकर
छवि एक क्यों नहीं लगाये ??
शुक्ल भ्रमर 5
आम का बखान ख़ास अंदाज़ में सलिल जी ही कर सकतें हैं .यही तो हमारे लोक जीवन की झांकी है .आम के आम गुठलियों के दाम .ये रास्ता आम नहीं है .ये ब्लॉग भी आम नहीं है ख़ास है .
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