शीर्षक = दुनिया से परे
दुनिया से परे ,
लोगो से डरे|
रहता हूँ मै ,
पैरों पे खड़े |
डर कर जीना है ना ,
मैंने तो सीखा |
पर वही हमें ,
लग रही था तीखा |
लोग कहते है की ,
खुलकर जीना चाहिए |
पर कोई ये नहीं बताता कि ,
कब जीना चाहिए |
जो डर के जी रहे है ,
वो लोग नहीं है बुरे |
दुनिया से परे ,
लोगो से डरे|
रहता हूँ मैं ,
पैरों पे खड़े|
नाम =देवा ,कक्षा =7 ,अपना घर
लोग कहते है की ,
जवाब देंहटाएंखुलकर जीना चाहिए |
पर कोई ये नहीं बताता कि ,
कब जीना चाहिए | .......bahut badi air steek baat kahdi . keep writing . good luck :)
लोग कहते है की ,
जवाब देंहटाएंखुलकर जीना चाहिए |
पर कोई ये नहीं बताता कि ,
कब जीना चाहिए | .......bahut badi air steek baat kahdi . keep writing . good luck :)