ऊपर देखो तारे देखो,
आसमान के नज़ारे देखो...
नीचे देखो बजारें देखो,
बच्चों के भी मजाके देखो...
आसमान भी क्या रंग बदलता,
हम बच्चों का मन बदलता...
तन है कैसा मन है कैसा,
ये आसमान का रंग है कैसा...
लेखक: ज्ञान कुमार, कक्षा ४, अपना घर
पढ़ने वाले भैय्या, अँकल जी और आँटी जी,
nanhaman@gmail.com
पर
मेरे लिये कुछ लिख भेजिये, ना ..प्लीज़ !
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेटा ज्ञान कुमार,
जवाब देंहटाएंबहुत बधाई हो!
कल सम्भवतः मैं भी नन्हा मन पर कुछ लगाउँगा।