एक बार कान्हा जब सबसे चोरी छुप-छुपकर मिट्टी खा रहे थे तो उन्हें दाऊ भैया नें देख लिया और पकड कर मां के पास ले आए । मुंह पर मिट्टी लगी देख मां को बहुत
क्रोध आया और कान्हा से डांटते हुए बोलीं "क्यों रे कान्हा तैने माटी क्यों खाई"
नहीं मां मैने माटी नहीं खाई ( कान्हा ने मां से झूट बोलते हुए कहा )
अच्छा माटी नहीं खाई , जरा मुंह तो खोलो ।
बस मां के कहने की देर थी कि कान्हा नें झट से अपना छोटा सा मुंह पूरा खोल दिया और मां यशोदा को मुंह में मिट्टी की बजाय पूरी दुनिया घूमती हुई दिखाई दी । यह देखकर तो मां कुछ समझ ही नहीं पाई और वहीं पर बेहोश होकर गिर पडी ।
जब कान्हा थे नन्हे बाल
करते कोई न कोई कमाल
सबसे छुप कर मिट्टी खाते
मां जसुमति को झूट बताते
एक बार बल भाई नें देखा
मुंह में था मिट्टी का गोला
धीरे-धीरे लगे चबाने
और सबकी नजरों से छुपाने
मां के पास पकड कर लाए
सब कुछ आकर दिया बताए
सुनकर मां को गुस्सा आया
कान्हा नें मुंह खोल दिखाया
सष्टि मुंह में घूमती पाई
मां ने अपनी सुध गवाई
ऐसी कान्हा नें की लीला
मां जसुदा को सब कुछ भूला
कान्हा की बाल-लीलाएं-5 , कान्हा की बाल-लीलाएं-4 , कान्हा की बाल-लीलाएं-3 , कान्हा की बाल-लीलाएं-2 , कान्हा की बाल-लीलाएं-1
very beautiful depiction
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंकान्हा की बाल लीलाएँ तो
आज भी सबका मन मोह लेती हैं!